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Writer's pictureSanjay Trivedi

FICCI has a key role to play in sectors such as food processing, start-ups, artificial intelligence,

PM addresses inaugural session of 90th AGM of FICCI

The Prime Minister, Shri Narendra Modi, addressed the inaugural session of 90th Annual General Meeting of FICCI. He recalled that around the time of FICCI's founding in 1927, Indian Industry had united against the Simon Commission that was constituted by the then British Government. He said that Indian Industry had joined all other sections of Indian society, in national interest, at that time. The Prime Minister said that a similar atmosphere exists today when people of the country are coming forward to fulfill their responsibilities towards the nation. He said the hopes and aspirations of people are to rid the country from internal problems like corruption, and black money. He said political parties and chambers of industry should keep in mind the country's requirements and the feelings of the people, and work accordingly.

The Prime Minister said that a lot has been achieved since independence, but several challenges have arisen as well. He said the poor seemed to be struggling against the system that came to be established, for things such as bank accounts, gas connections, scholarships, pensions etc. He said the Union Government is working to end this struggle, and to create a system that is transparent and sensitive. He said the Jan Dhan Yojana is one example of this, and increasing "ease of living" has been the focus of the Union Government. He also mentioned the Ujjwala Yojana, construction of toilets under the Swachh Bharat Mission, and Pradhan Mantri Awas Yojana. He said that he has come through poverty, and understands the need to work for the requirements of the poor and the nation. He also mentioned the Mudra Yojana, for collateral-free loans to entrepreneurs. The Prime Minister said that the Union Government is working to strengthen the banking system. He said the issue of NPAs is a legacy received by the current Government. He said, rumours are now being spread about the Financial Regulation and Deposit Insurance (FRDI) Bill. He said the Government is working to protect the interests of the account holders, but rumours that are being spread are the exact opposite. He said organizations such as FICCI have a responsibility to generate awareness about such issues. He said, that similarly, FICCI has a role to play in making GST more effective. He said the Government's effort is to ensure that maximum businesses register for GST. He said the more formal the system becomes, the more it will benefit the poor. It will enable easier availability of credit from the banks, and reduce cost of logistics, thereby enhancing competitiveness of businesses. I hope FICCI has some plan to generate large-scale awareness among small traders, he added. He also said that FICCI must also voice concerns, when necessary, on issues such as builders exploiting the common man. The Prime Minister mentioned policy decisions taken in sectors such as urea, textile, civil aviation, and health, and the benefits achieved from them. He also mentioned reforms in sectors such as defence, construction, food-processing etc. He said that as a result of these measures, India's rank has risen from 142 to 100, in the World Bank "Ease of Doing Business" rankings. He also mentioned other indicators which point to the robust health of the economy. He said that the steps taken by the Government are also playing a key role in job creation. The Prime Minister said FICCI has a key role to play in sectors such as food processing, start-ups, artificial intelligence, solar power, healthcare etc. He urged FICCI to play the role of a think-tank for the MSME sector.

Text of PM’s address at inaugural session of 90th Annual General Meeting of FICCI

FICCI के President श्री पंकज आर पटेल जी, भावी President श्रीमान राजेश सी शाह, Secretary General डॉ. संजय बारू और यहां उपस्थित सभी वरिष्‍ठ महानुभव आप सभी आज अपने साल भर के काम काज का लेखा-जोखा लेकर हिसाब-किताब में लगे हैं इस वर्ष FICCI के 90 वर्ष भी हो रहे हैं किसी भी संस्‍था के लिए ये बहुत गौरव का विषय है। आप सभी को मेरी तरफ से 90 साल की इस सफल यात्रा के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। और अब तक जिन लोगों ने इस काम को संभाला है। उन सबको भी मेरी तरफ से बधाई। साथियों 1927 के आस-पास का ही समय था जब साइमन कमीशन का गठन किया गया था। और इसके खिलाफ जिस तरह भारतीय उद्योग जगत उस समय लामबद्ध हुआ, वो अपने आप में एक बहुत ही ऐतिहासिक और प्रेरणादायक घटना थी। अपने ‍हितों से ऊपर उठकर उद्योग जगत ने साइमन कमीशन के गठन के खिलाफ आवाज उठाई थी। जैसे उस समय भारतीय समाज का हर अंग राष्‍ट्रहित को लेकर के आगे आया, वैसे ही भारतीय उद्यमियों ने भी अपनी ऊर्जा को राष्‍ट्र‍निर्माण में लगाया। भाईयो और बहनों जैसे 90 साल पहले सामान्‍य मानवी अपनी दैनिक जिम्‍मेवारियों के साथ-साथ देश की जिम्‍मेवारियों को उठाने के लिए आगे आया था, वैसा ही दौर फिर एक बार हम सबके सामने आया है। इस समय देश के लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं जिस स्‍तर पर हैं, और मैं समझता हूं उसे आप भी भली भांति समझ सकते हैं। लोग देश की इन आंतरिक बुराइयों से भ्रष्‍टाचार से, कालेधन से परेशान हो चुका है। उसे उससे छुटकारा पाना है और इसलिए आज हर संस्‍था चाहे वो कोई राजनीतिक दल हो या FICCI जैसा औद्यो‍गिक संगठन उसके लिए ये मंथन का समय है जो देश की आवश्‍यकताओं और देश के लोगों की भावनाओं को समझते हुए अपनी भावी रणनीति कैसे बनाएं। साथियों स्‍वतंत्रता के बाद उस वर्षों में बहुत कुछ हुआ है। लेकिन ये भी सत्‍य है इन वर्षों में हमारे सामने कई चुनौतियां खड़ी हुई हैं। आजादी के बाद के 70 सालों में हमारे यहां एक ऐसा सिस्‍टम बना है। जिसमें कहीं न कहीं, कोई न कोई गरीब हमेशा, सामान्‍य मानवी हमेशा इस सिस्‍टम के साथ लड़ता रहा। बहुत छोटी-छोटी चीजों के लिए उसे संघर्ष करना पड़ रहा था। उस गरीब को बैंक अंकाउट खुलवाना हो तो सिस्‍टम उसके आड़े आ जाता था, उसे गैस का कनेक्‍शन चाहिए तो दस जगह उसको चक्‍कर काटना पड़ता था। अपनी ही पेंशन पाने के लिए, अपने बच्‍चों की Scholarship पाने के लिए उसको यहां-वहां कमीशन देना होता था। सिस्‍टम के साथ इस लड़ाई को बंद करने का काम मेरी सरकार कर रही है। हम एक ऐसे सिस्‍टम का निर्माण कर रहे हैं। जो न सिर्फ Transparent हो बल्कि Sensitive भी हो। एक ऐसा सिस्‍टम जो लोगों की आवश्‍यकताओं को समझे। इसलिए जब हमने जनधन योजना शुरू की तो उसे इतना शानदार response मिला। आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि जब ये योजना शुरू हुई तो हम ये लक्ष्‍य तय नहीं कर पाए थे कि कितने गरीबों के बैंक अंकाउट खोलने हैं और कारण ये था कि सरकार के पास ऐसा कोई data नहीं था, कोई जानकारी नहीं थी। हमें बस ये एहसास था कि गरीब को बैंक के दरवाजे से लौटा दिया जाता है। कभी डांटकर, कभी ये कागज लाओ वो कागज लाओ उसका बहाना बनाकर। आज जब मैं ये देखता हूं कि जनधन योजना के माध्‍यम से तीस करोड़ से ज्‍यादा गरीबों ने अपने बैंक के खाते खुलवाएं हैं तो लगता है कि गरीबों की कितनी बड़ी आवश्‍यकता की हम एक पूर्ति कर पाए हैं। एक study में ये बात उभर कर के आई है कि ग्रामीण क्षेत्रों जहां ऐसे खाते ज्‍यादा खुले हैं वहां Inflation दर में भी कमी आई है। यानि गरीब की जिंदगी, कितना बड़ा बदलाव इस एक योजना से प्राप्‍त कर पाई है। भाईयो और बहनों, हमारी सरकार ने लोगों की समस्‍याओं, उनकी आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए अपनी योजनाएं बनाने का निरंतर प्रयास किया है। लोगों की जिंदगी आसान बने, Ease of Leaving बढ़े, इस vision को हमने प्राथमिकता दी है। गरीब महिलाओं को गैस के धुएं से मुक्ति मिले और इसलिए उज्‍ज्‍वला योजना शुरू की। हमने तीन करोड़ से ज्‍यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्‍शन दिया। अब एक और study में सामने आया है कि इस योजना के बाद ग्रामीण इलाकों में Fuel Inflation में भी काफी मात्रा में गिरावट आई है यानि गरीब को इंधन के लिए अब कम पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। हम गरीब की एक-एक आवश्‍यकता, एक-एक समस्‍या को पकड़ कर, उसे सुलझाने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रहे हैं। गरीब महिलाओं को लगातार शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े। उनके स्‍वास्‍थ्‍य और सुरक्षा पर असर न हो। इसलिए स्‍वच्‍छ भारत मिशन के तहत पांच करोड़ से ज्‍यादा शौचालय बनवाए गए हैं। गरीबों को रहने के लिए पक्‍के घर मिल सके। वो जितना किराए पर खर्च करते हैं। लगभग उतने में ही उनके पास अपना घर हो जाए इसलिए प्रधानमंत्री आवास योजना को हमने आरंभ किया है। साथियों, विज्ञान भवन की इन चमचमाती लाइटें इतनी सजावट ये जो पूरा माहौल है, उससे बहुत अलग दुनिया आपको देश के दूर-दराज इलाकों में, देश के गांवों में देखने को मिलती है। मैं गरीबी की उस दुनिया से निकल कर आपके बीच आया हूं सीमित संसाधन, सीमित पढ़ाई लेकिन अपने अथाह असीमित और इसी दुनिया ने मुझे सिखाया कि देश की आवश्‍यकताओं को समझते हुए, गरीबों की आवश्‍यकताओं को समझते हुए हम कार्य करें फैसले लें उन्‍हें लागू करें। जैसे मुद्रा योजना युवाओं की एक बहुत बड़ी आवश्‍यकता की पूर्ति कर रही है। ये आवश्यकता है बैंक गारंटी। कोई भी नौजवान अपने दम पर जैसे ही कुछ करना चाहता है उसके सामने पहला सवाल यही होता है कि पैसे कहां से आएंगे। मुद्रा योजना के तहत ये गांरटी सरकार दे रही है। पिछले तीन वर्षों में करीब-करीब पौने दस करोड़ लोन लोगों को हमने मुद्रा योजना से लोन स्‍वीकृति किया है। बिना बैंक गारंटी इन पौने दस करोड़ युवाओं को करीब चार लाख करोड़ रूपये से ज्‍यादा हम दे चुके हैं। युवाओं की बहुत बढ़ी जरूरत के साथ ये सरकार खड़ी है और इसी का परिणाम है कि देश को पिछले तीन साल में लगभग तीन करोड़ नए Entrepreneurs मिले हैं। ये वो लोग हैं जिन्‍होंने मुद्रा योजना के तहत पहली बार बैंक से लोन लिया है। इन तीन करोड़ लोगों ने देश के लघु उद्योग सेक्‍टर या MSME सेक्‍टर का दायरा और बढ़ाया है, उसे मजबूत किया है। सरकार Startups को भी बढ़ावा दे रही है। Startup की सबसे बड़ी जरूरत है Risk Capital की। इस जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार ने subsidy के तहत एक Fund of Fund बनाया। इस कदम के बाद subsidy द्वारा किए गए निवेश को अन्‍य Investor के सहयोग से चार से साढ़े चार गुणा ज्‍यादा leverage किया गया। इससे Startup को जिनके पास नए Ideas है उन्‍हें पूंजी मिलने में बहुत सहायता मिली है। भाइयो और बहनों Startups के Eco System में Alternate Investment Funds द्वारा किए गए निवेश बहुत ही महत्‍वपूर्ण हैं। पिछले तीन सालों में सरकार के द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णयों के कारण ऐसे निवेश में बहुत ज्‍यादा वृद्धि हुई है। आप देखेंगे कि सरकार देश के नौजवानों की जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए किस प्रकार से फैसले ले रही है। योजनाएं बना रही है। इसका बिल्‍कुल contrast आपको पिछली सरकार में देखने को मिलेगा। उस दौरान कुछ बड़े-बड़े उद्योगपतियों को लाखों, करोड़ों के लोन दिए गए। बैंकों पर दबाव डालकर के पैसा दिलवाया गया। साथियों FICCI का अपने बारे में कहना है कि Industry’s Voice for Policy Change, आप Industry की Voice सरकार तक पहुंचाते हैं। आपके सर्वे आते रहते हैं, आपके सेमिनार होते रहते हैं। मुझे जानकारी नहीं है कि पहले की सरकार की नीतियों ने जिस तरह बैंकिंग सेक्‍टर की दुर्दशा की, उस पर FICCI ने कोई सर्वे किया था या नहीं किया था। ये Non-Performing Asset, NPA-NPA का जो हल्‍ला मच रहा है वो पहले की सरकार में बैठे अर्थशास्त्रियों की, इस सरकार को दी गई सबसे बड़ी Liability है। मेरी दिलचस्पी ये भी जानने में है कि जब सरकार में बैठे कुछ लोगों के द्वारा बैंकों पर दबाव डालकर कुछ विशेष उद्योगपतियों को लोन दिलवाया जा रहा था, तब FICCI जैसी संस्थाएं क्या कुछ सक्रिय थीं, कुछ कर रही थीं, चेतावनी दे रही थी, Voice उठा रही थीं। पहले की सरकार में बैठे लोग जानते थे, बैंक भी जानते थे, उद्योग जगत भी जानता था, बाजार से जुड़ी संस्थाएं भी जानती थीं कि कुछ न कुछ गलत हो रहा है। ये यूपीए सरकार का सबसे बड़ा घोटाला था। कॉमनवेल्थ, 2 जी, कोयला, इन सभी से कहीं ज्यादा बड़ा घोटाला। ये बैंक के कारोबार से जुड़ा हुआ था। एक तरह से सरकार में बैठे लोगों द्वारा उद्योगपतियों के माध्यम से जनता की गाढ़ी कमाई लूट ली थी। क्या एक बार भी किसी सर्वे में, किसी Study में इसकी चिंता व्‍यक्‍त की गई थी, इशारा किया गया। जो लोग मौन रहकर सब कुछ देखते रहे, क्या उन्हें जगाने की कोशिश, इस देश की किसी संस्था के द्वारा हुई थी? साथियों, बैंकिंग सिस्टम की इस दुर्दशा को ठीक करने के लिए, बैंकिंग सिस्टम को मजबूत करने के लिए ये सरकार लगातार कदम उठा रही है। बैंकों का हित सुरक्षित होगा, ग्राहकों का हित सुरक्षित होगा, तभी देश का हित भी सुरक्षित रहेगा। ऐसे में FICCI जैसी संस्थाओं की बड़ी भूमिका, सही जानकारी के साथ उद्योग जगत और लोगों को जागरूक करने की भी है। अब जैसे बीते कुछ दिनों से Financial Resolution and Deposit Insurance Bill- FRDI उसको लेकर बहुत बड़ी मात्रा में अफवाहें फैलाई जा रही हैं। सरकार ग्राहकों के हित को सुरक्षित करने के लिए, बैंकों में जमा उनकी पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए लगातार काम कर रही है, लेकिन खबरें ठीक उससे उलटी चलाई जा रही हैं। उद्योग जगत को और आम नागरिकों को भ्रमित करने वाली ऐसी कोशिशों को नाकाम करने में FICCI जैसी संस्था का भी योगदान जरूरी है। आप Government की Voice, Industry की Voice और Public की Voice के साथ तालमेल कैसे बिठाएंगे, ये भी आपको सोचना होगा। ये तालमेल क्यों आवश्यक है, इसका एक और उदाहरण मैं देना चाहूंगा। साथियों, भारतीय industry की पुरानी मांग थी कि उसे GST चाहिए, GST चाहिए। अब जब GST लागू हो चुका है, तो उसे और प्रभावी बनाने के लिए आपकी संस्था क्या भूमिका निभा रही है? जो लोग सोशल मीडिया पर हैं, उन्होंने ध्यान दिया होगा कि बहुत दिनों तक, लोग restaurant के बिल पोस्ट कर रहे थे कि टैक्स भले कम हो गया लेकिन कुछ restaurant वालों ने मूल लागत को बढ़ाकर फिर हिसाब बराबर कर दिया है। यानि ग्राहक तक वो फायदा पहुंचा ही नहीं, जो पहुंचना चाहिए था। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार अपनी तरफ से कोशिश कर रही है लेकिन क्या FICCI की तरफ से लोगों में, व्यापारियों में किसी तरह की जागरूकता लाने में कोई contribution हो सकता है क्‍या? भाइयों और बहनों, GST जैसी व्यवस्थाएं रातों-रात खड़ी नहीं होती हैं और हम तो पिछले 70 साल की बनाई हुई व्यवस्था को बदल रहे हैं। हमारा ये भी लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा व्यापारी इस नई व्यवस्था के साथ जुड़ें। चाहे लाख रुपए महीने का टर्नओवर हो या दस लाख का, छोटे से छोटे व्यापारी को हम Formal System में लाने का एक प्रयास कर रहे हैं। इसलिए नहीं कि सरकार को पैसा कमाना है, टैक्स वसूलना है। सरकार ये इसलिए कर रही है क्योंकि System जितना Formal होगा, जितना पारदर्शी होगा, उतना ही देश के हर नागरिक के हितों की रक्षा होगी। गरीबों का कल्‍याण होगा। इसके अलावा Formal System की वजह से उन्हें आसानी से बैंकों से Credit मिलेगा, Raw Material की गुणवत्ता बढ़ेगी और Logistics की Cost भी कम होगी। यानि ग्लोबल बिजनेस में छोटे उद्यमी भी ज्यादा Competitive होंगे। मुझे उम्मीद है कि FICCI ने बड़े पैमाने पर छोटे व्यापारियों के मार्गदर्शन के लिए कोई योजना अवश्य बना के रखी होगी। भाइयों और बहनों, मुझे बताया गया है कि FICCI के MSME Vertical का जो देश की Economy में बहुत बड़ा महत्‍वपूर्ण रोल अदा करता है। और FICCI की आयु हो गई 90 साल, MSME Vertical का गठन 2013 में किया गया था। 90 साल की इस संस्था में MSME Vertical सिर्फ चार साल पहले बना। मैं कुछ और टिप्पणी तो नहीं करूंगा लेकिन इतना अवश्य कहना चाहूंगा कि आपका ये वर्टिकल मुद्रा योजना, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं का प्रसार बढ़ाने में बहुत बड़ी मदद कर सकता है। इतनी अनुभवी संस्था जब हमारे छोटे उद्योगों की Hand Holding करेगी, तो वो भी और ज्यादा ऊर्जा के साथ काम कर पाएंगे और सफल होंगे। सरकार ने Government में एक बहुत बड़ा Initiative लिया है। और मैं चाहता हूं कि आप जैसी संस्‍थाएं उसका अध्‍ययन करें। Government eMarketplace यानि GeM नाम से हमने एक व्यवस्था खड़ी की है, उससे भी देश के छोटे उद्यमियों को जोड़ने में आपको अपने प्रयास बढ़ाने चाहिए। GeM के माध्यम से अब छोटे-छोटे Manufacturer भी अपना सामान सीधा-सीधा सरकार को बेच सकते हैं। मेरी एक और अपेक्षा आपसे है कि MSME का जो पैसा बड़ी कंपनियों पर Due रहता है, और यहां कई लोग बैठे हैं उनके लिए खास मैं प्रार्थना करना चाहता हूं। बड़ी-बड़ी कंपनियों में MSME के पैसे बहुत लंबे अरसे तक Due रहते हैं। वो समय पर चुकाया जा सकते हैं क्‍या? क्‍या इसके लिए आप कुछ कर सकते हैं क्‍या? नियम है लेकिन ये भी सच है कि छोटे उद्यमियों का पैसा ज्यादातर बड़ी कंपनियों के पास अटका रहता है। तीन महीने, चार महीने बाद उन्हें पेमेंट मिलता है। अब कारोबारी रिश्ते बिगड़ ना जाएं, छोटा व्‍यक्ति है अगर वो खरीदना बंद कर दे तो परेशान हो जाए। इसलिए छोटा उद्यमी अपने पैसे जो हक के हैं, वो भी बड़ी कंपनियों से मांगने में भी हिचकिचाता है। उसकी इस चिंता को, इस समस्या को दूर करने के लिए भी FICCI जैसी संस्‍थाओं की तरफ से आग्रहपूर्वक प्रयास होगा। तो Economy को एक बहुत अच्‍छी नई गति मिलेगी। साथियों, ऐसी बहुत सी वजहें थीं जिनकी वजह से हमारा देश पिछली शताब्दी में औद्योगिक क्रांति का पूरी तरह लाभ नहीं उठा पाया। और आज बहुत सी वजहें हैं, जिसकी वजह से भारत एक नई क्रांति की शुरुआत कर सकता है। ये सरकार देश की आवश्यकताओं को समझते हुए नई नीतियां बना रही है। पुराने कानून खत्म कर रही है, नए कानून बना रही है। अभी हाल ही में हमने बांस को लेकर आपको हैरानी होगी, Bamboo, बांस को लेकर भी एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। बांस एक पेड़ है या Grass है, इसको लेकर हमारे देश में दो अलग-अलग कानून थे। एक कानून कहता था Bamboo Grass है, एक कानून कहता था कि Bamboo Tree है। किसी को जेल में डालना है तो Tree वाला कानून और किसी से पैसे कमाना है तो Grass वाला कानून। अब सरकार ने तय कर दिया है कि जंगलों से बाहर जो बांस उगता है, यानि आदिवासी भी अपने खेत में उगाता है। उसे पेड़ नहीं माना जाएगा। Tree नहीं माना जाएगा। आप हैरान होंगे जी, अगरबत्‍ती बनाने के लिए हम Bamboo Import करते हैं। दियासिलाई के लिए Bamboo Import करते हैं। पतंग बनाने के लिए Bamboo Import करते हैं। जबकि देश में Bamboo है। लेकिन क्‍योंकि वो Tree है जेल जाना पड़ेगा। इस फैसले से उन लाखों छोटे उद्यमियों का फायदा होगा, जो बांस पर आधारित उद्योग से जुड़े हुए हैं, paper mill तक। साथियों, मुझे बताया गया है कि FICCI के सदस्यों में सबसे ज्यादा मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों से जुड़े सदस्य हैं। Engineering goods, Infrastructure, Real estate construction materials जैसी कंपनियां का FICCI का शायद एक चौथाई परिवार वही लोग हैं। भाइयों और बहनों, फिर क्यों ऐसा हुआ कि बिल्डरों की मनमानी की खबर पहले की सरकार तक FICCI ने नहीं पहुंचाई। मध्यम वर्ग पिस रहा था, जिंदगी भर की कमाई बिल्डर को देने के बाद भी उसे घर नहीं मिल रहे थे, और फिर भी कुछ ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे थे। क्यों? RERA जैसे कानून पहले भी तो बनाए जा सकते थे, लेकिन नहीं बने। मध्यम वर्ग की इस दिक्कत को इस सरकार ने ही समझा और कानून बनाकर बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगाई है। भाइयों और बहनों, हमने ही इस बात को समझा कि मार्च में बजट पेश होने पर योजनाओं को साल भर काम करने का अवसर नहीं मिल पाता। बजट पास होना और बारिश की शुरूआत होना एक साथ चलता है। और बजट कई लंबे समय दीवाली आने तक कोई काम हो ही नहीं सकते। हमने इसको प्रीपोन कर दिया। बजट को हमने एक महीना आगे कर दिया। मॉनसून की वजह से तीन-चार महीने बर्बाद हो जाते थे और इसलिए इस साल बजट का समय एक महीना पहले कर दिया गया और इसका परिणाम ये हुआ है कि इस साल विभागों को तय समय से भी पहले पैसा मिला, योजनाओं पर काम करने उनको पूरा अवसर मिला और साल भर काम चलता रहा। साथियों, इस सरकार में यूरिया को लेकर नई पॉलिसी बनी, टेक्सटाइल सेक्टर को लेकर नई पॉलिसी बनी, एविएशन सेक्टर के लिए नई पॉलिसी बनी, ट्रांसपोर्ट सेक्टर के इंटीग्रेशन को लेकर हमारी पॉलिसी बनी, हेल्थ को लेकर हमनें नई पॉलिसी बनाई और सिर्फ ऐसा ही नहीं है कि पॉलिसी बनानी है, तो चलो प़ॉलिसी बना दी, ये सरकार ऐसी नहीं है। हमने यूरिया को लेकर नीति बदली, तो देश में बिना नए यूरिया कारखाने लगाए, 18 से 20 लाख टन यूरिया का उत्पादन बढ़ गया। टेक्सटाइल सेक्टर में नई नीति रोजगार के एक करोड़ अवसरों का निर्माण करेगी। एविएशन सेक्टर में पॉलिसी चेंज हवाई चप्पल वाला भी हवाई उड़ान की सुविधा प्राप्‍त कर सकेगा। इस प्रकार का change हम लाएं हैं। ट्रांसपोर्ट सेक्टर का इंटीग्रेशन यातायात की अलग-अलग व्यवस्थाओं पर बोझ बड़ी मात्रा में कम करेगा। पिछले तीन वर्षों में, और मैं चाहूंगा कि FICCI इसकी सूची तैयार करे। पिछले तीन वर्षों में 21 सेक्टरों में 87 महत्‍वपूर्ण Reform इस सरकार ने किए हैं। Defence सेक्टर, Construction सेक्टर, Financial Services, Food Processing, जैसे कितने ही सेक्टरों में घिसी-पिटी व्‍यवस्‍था में बहुत बड़े बदलाव किए गए हैं और इसी का नतीजा आपको अर्थव्यवस्था से जुड़े अलग-अलग Parameters में आज नजर आ रहा है। Ease of Doing Business की रैंकिंग में भारत सिर्फ तीन वर्षों में 142 से 100वें नंबर पर पहुंच गया है। भारत का Foreign Exchange Reserve लगभग 30 हजार करोड़ डॉलर से बढ़कर 40 हजार करोड़ डॉलर के पार पहुंच गया है। • Global Competitiveness Index में भारत की रैंकिंग में 32 अंकों का सुधार हुआ है। • Global Innovation Index में भारत की रैकिंग 21 अंक उछली है। • Logistics Performance Index में 19 अंकों का सुधार हुआ है। • अगर कुल FDI की बात करें तो पिछले तीन वर्षों में देश में विदेशी निवेश में लगभग 70 प्रतिशत की बढोतरी हुई है। मैंने पहले ही कहा था, FICCI में तो कंस्ट्रक्शन सेक्टर से जुड़े सदस्य बहुत ज्यादा हैं। आपकी जानकारी होगी कि कंस्ट्रक्शन सेक्टर में अब तक के Total विदेशी पूंजी निवेश का 75 प्रतिशत पिछले तीन वर्षों में ही हुआ है। इसी तरह एयर ट्रांसपोर्ट सेक्टर हो, माइनिंग सेक्टर हो, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर हो, इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट्स हो, सभी में अब तक हुए निवेश का आधे से ज्यादा निवेश सिर्फ और सिर्फ पिछले तीन वर्ष में ही हुआ है। अर्थव्यवस्था की मजबूती के कुछ और आंकड़े भी सामने रखना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि दो-तीन दिन पहले आए ये आंकड़े जरूर आपको पता होंगा, लेकिन इनकी तरफ हो सकता है, आपका ध्यान फिर से आकर्षित करने का मेरा मन कर रहा है। साथियों, घरेलू बाजार में पैसेजेंर व्हीकल बिक्री की ग्रोथ नवंबर में 14 प्रतिशत से ज्यादा रही है। कॉमर्शियल व्हीकल की बिक्री, जो कि देश में इकॉनॉमिक एक्टिविटी को दर्शाती है, उसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा की ग्रोथ हुई है। थ्री व्हीलर की बिक्री, जिसे रोजगार का भी एक इंडीकेटर माना जा सकता है, उसमें नवंबर महीने में लगभग 80 प्रतिशत की ग्रोथ देखी गई है। टू-व्हीलर, जिसकी बिक्री गांवों में और मध्यम वर्ग की आय में बढोतरी को दर्शाती है, उसमें 23 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है। साथियों, आपको पता है कि इतने बड़े स्तर पर परिवर्तन तभी आता है जब अर्थव्यवस्था पर सामान्‍य मानवी का भरोसा बढ़ता है। ये सुधार इस बात का सबूत हैं कि बहुत ग्राउंड लेवल पर जाकर सरकार बड़े प्रशासनिक, वित्तीय और कानूनी कदम उठा रही है। ये सुधार इस बात का भी सबूत हैं कि सरकार के सोशल रीफॉर्म, इकॉनॉमिक रीफॉर्म भी अपने आप ला रहे हैं, Job Creation में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। जैसे अगर प्रधानमंत्री आवास योजना की बात करूं तो सरकार इस लक्ष्य पर काम कर रही है कि 2022 तक देश के हर गरीब के पास अपना घर हो। इसके लिए गांवों में, शहरों में लाखों घरों का निर्माण किया जा रहा है। इन घरों को बनाने के लिए Manpower तो स्थानीय स्तर पर ही जुटाई जा रही है। घरों के निर्माण में जो सामान लग रहा है, वो भी तो स्थानीय बाजार से ही आ रहा है। ऐसे ही देश में गैस पाइपलाइन बिछाने का एक बहुत बड़ा काम चल रहा है, उससे कई शहरों में सिटी गैस Distribution System भी develop हो रहा है। जिन शहरों में CNG पहुंच रही है, वहां पर एक Job मार्केट में एक नया Eco System भी आज Develop हो रहा है। भाइयों और बहनों, हम सभी देश की आवश्यकताओं को समझते हुए अगर कार्य करेंगे, तभी लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं की पूर्ति भी होगी। फिक्की से जुड़ी सभी सदस्य कंपनियों को इस बारे में भी विचार करना चाहिए कैसे हम उन चीजों का देश में निर्माण करें, जिन्हें भारत बाहर से मंगवाने के लिए हमारा देश मजबूर न हों। कितने ही क्षेत्रों में हमसे ही कच्चा माल लेकर हम ही को वापस बेचा जाता है। इस स्थिति से हमें देश को बाहर निकालना है। साथियों, 2022 में हमारा देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाएगा। हम सभी ने संकल्प लिया है। न्यू इंडिया के निर्माण का। फिक्की जैसी संस्थाओं का दायरा इतना बड़ा है, जिम्मेदारी इतनी बड़ी है, कि उसे आगे कदम बढ़ाकर, न्यू इंडिया के लिए हमें संकल्प लेने होंगे। फिक्की को ये देखना होगा कि देश की भविष्य की जरूरतों को देखते हुए वो क्या नए संकल्प ले। आपके लिए कितने ही सेक्टर हैं, जहां काम करने की बहुत सारी संभावनाएं हैं। फूड प्रोसेसिंग सेक्टर, स्टार्ट अप, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, सोलर पावर सेक्टर, हेल्थकेयर, इन सभी को फिक्की के अनुभव का फायदा मिल सकता है। क्या आपकी संस्था देश के MSME सेक्टर के लिए थिंक टैंक के तौर पर कार्य कर सकती है क्‍या? भाइयों और बहनों, करने के लिए बहुत कुछ है, बस हमें संकल्प लेना है और उसे सिद्ध करना है। जब हमारे संकल्प सिद्ध होंगे तो देश भी सिद्ध होगा। हां, बस इस बात का ध्यान रखना है कि जैसे क्रिकेट में कुछ बल्लेबाज 90 पर आकर 100 के इंतजार में धीरे खेलने लगते हैं, फिक्की ऐसा ना करे। आइए, सीधे एक छक्का, एक चौका और सैकड़ा पार करें।

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